25 July 2014

मैं कल रात नहीं रोया था..

मैं कल रात नहीं रोया था

दुख सब जीवन के विस्मृत कर,

तेरे वक्षस्थल पर सिर धर,तेरी गोदी में चिड़िया के बच्चे-सा छिपकर सोया था!

मैं कल रात नहीं रोया था!


प्यार-भरे उपवन में घूमा,

फल खाए, फूलों को चूमा,

कल दुर्दिन का भार न अपने पंखो पर मैंने ढोया था!

मैं कल रात नहीं रोया था!


आँसू के दाने बरसाकर

किन आँखो ने तेरे उर पर

ऐसे सपनों के मधुवन का मधुमय बीज, बता, बोया था?

मैं कल रात नहीं रोया था!


#हरिवंशराय बच्चन




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on: July 25, 2014 at 11:25PM

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