12 August 2015

My Beloved Abdul Kalam Sir

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कलाम सर आप चले गए
आज मानो हम सब का
एहतराम चला गया !

वक्त की मार से कुछ एक #अब्दुल थे धरा पर,
ये मालीक, ये ले तेरे पास अब
उस नेक बन्दे का भी “सलाम” चला गया !

भारत माँ कौन लिखेगा ग़ज़ल
विज्ञान की कलम से,
मासूमियत के मन से,
अब तो तेरा “कलाम” चला गया !

Written By Shashi Kr. (Aansoo)

Born on 15th October 1931 at Rameswaram in Tamil Nadu, Dr. Avul Pakir Jainulabdeen Abdul Kalam, specialized in Aeronautical Engineering from Madras Institute of Technology. Dr. Kalam made significant contribution as Project Director to develop India’s first indigenous Satellite Launch Vehicle (SLV-III) which successfully injected the Rohini satellite in the near earth orbit in July 1980 and made India an exclusive member of Space Club. He was responsible for the evolution of ISRO’s launch vehicle programme, particularly the PSLV configuration. After working for two decades in ISRO and mastering launch vehicle technologies, Dr. Kalam took up the responsibility of developing Indigenous Guided Missiles at Defence Research and Development Organisation as the Chief Executive of Integrated Guided Missile Development Programme (IGMDP). He was responsible for the development and operationalisation of AGNI and PRITHVI Missiles and for building indigenous capability in critical technologies through networking of multiple institutions. He was the Scientific Adviser to Defence Minister and Secretary, Department of Defence Research & Development from July 1992 to December 1999. During this period he led to the weaponisation of strategic missile systems and the Pokhran-II nuclear tests in collaboration with Department of Atomic Energy, which made India a nuclear weapon State. He also gave thrust to self-reliance in defence systems by progressing multiple development tasks and mission projects such as Light Combat Aircraft.

As Chairman of Technology Information, Forecasting and Assessment Council (TIFAC) and as an eminent scientist, he led the country with the help of 500 experts to arrive at Technology Vision 2020 giving a road map for transforming India from the present developing status to a developed nation. Dr. Kalam has served as the Principal Scientific Advisor to the Government of India, in the rank of Cabinet Minister, from November 1999 to November 2001 and was responsible for evolving policies, strategies and missions for many development applications. Dr. Kalam was also the Chairman, Ex-officio, of the Scientific Advisory Committee to the Cabinet (SAC-C) and piloted India Millennium Mission 2020.

Dr. Kalam took up academic pursuit as Professor, Technology & Societal Transformation at Anna University, Chennai from November 2001 and was involved in teaching and research tasks. Above all he took up a mission to ignite the young minds for national development by meeting high school students across the country.

In his literary pursuit four of Dr. Kalam’s books – “Wings of Fire”, “India 2020 – A Vision for the New Millennium”, “My journey” and “Ignited Minds – Unleashing the power within India” have become household names in India and among the Indian nationals abroad. These books have been translated in many Indian languages.

Dr. Kalam is one of the most distinguished scientists of India with the unique honour of receiving honorary doctorates from 30 universities and institutions. He has been awarded the coveted civilian awards – Padma Bhushan (1981) and Padma Vibhushan (1990) and the highest civilian award Bharat Ratna (1997).

He is a recipient of several other awards and Fellow of many professional institutions.

Dr. Kalam became the 11th President of India on 25th July 2002. His focus is on transforming India into a developed nation by 2020.

https://youtu.be/LrdrcP2oiyU

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प्रोफ़ेसर अबुल पाकिर जैनुलआब्दीन अब्दुल कलाम ने तमिलनाडु के एक छोटे से तटीय शहर में अख़बार बेचने से लेकर भारत रत्न तक का लंबा सफ़र तय किया है और अब वे भारत के राष्ट्रपति पद तक पहुँचे हैं.

चेन्नई से क़रीब 300 किलोमीटर दूर रामेश्वरम में 10 साल के स्कूली बच्चे अब्दुल कलाम अपने ग़रीब परिवार के भरण पोषण के लिए हर सुबह अख़बार बेचा करते थे.

परमाणु परीक्षणऔर 56 साल बाद वही अब्दुल कलाम भारत के मिसाइल कार्यक्रम के जनक माने जाते हैं, अपनी सुरक्षा ख़ुद करने के कार्यक्रम के प्रेरणास्रोत हैं और भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न पाने के बाद अब वे देश के सर्वोच्च पद पर आसीन हुए हैं.

अब तक अविवाहित पूरी तरह शाकाहारी प्रोफेसर कलाम को क़ुरान और गीता पर समान अधिकार है

और गीता के ही उपदेशों के अनुरूप उन्होंने हाल में कहा ‘सपनों को विचारों में और उन विचारों को असलियत में बदलना चाहिए. हथियारों का आयात कर छोटा रास्ता मत अपनाइए. अपना काम ख़ुद करें.’ 

इस मूलमंत्र के साथ ही अब्दूल कलाम ने भारत के लिए ख़ुद ही हथियार विकसित करने के कार्यक्रम पर ज़ोर दिया. 

उन्होंने कहा कि अमरीका के सुपर कंप्यूटर और रुस के क्रायोजेनिक अंतरिक्ष तकनीक देने से इनकार करने के बाद भारत ने परमाणु क्षमता विकसित करने के लिए ख़ुद ही अपना रास्ता तलाश किया है. 

1998 में परमाणु परीक्षण करने के बाद उनसे एक अमरीकी पत्रकार ने पूछा कि क्या उन्होंने अमरीका में पढ़ाई की है. 

इस पर अब्दुल कलाम ने कहा ‘मैं सौ प्रतिशत देसी हूं.’

तमिलभाषी 

उन्होंने इस बात पर कड़ा एतराज़ जताया था जब अख़बारों में 60 के दशक में अमरीका में की गई उनकी चार महीने की यात्रा को प्रशिक्षण के लिए किया गया दौरा बताया गया. 

वे उस वक़्त वहां के विभिन्न अंतरिक्ष संस्थानों का दौरा करने गए थे. 

1997 में उन्हें भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न दिया गया है. 

 

मैने अमरीका में प्रशिक्षण नहीं पाया है और मैं 100 प्रतिशत देसी हूं

एपीजे अब्दुल कलाम

वे तमिल बोलने वाले भारतीय मुसलमान हैं. लेकिन मुसलमान होने के बावजूद उनके परिवार को रामेश्वरम के मंदिर में विशेष सम्मान मिला हुआ है. 

बताते हैं कि एक बार जब रामेश्वरम की मूर्ति पानी में गिर गई थी तो कलाम के ही एक पूर्वज उसे पानी से निकाल कर बाहर लाए थे, इसीलिए उन्हें यह सम्मान मिला है.

उन्होंने 20 साल तक भारतीय अंतरिक्ष शोध संगठन यानी इसरो में काम किया और क़रीब इतने ही साल तक रक्षा शोध और विकास संगठन यानी डीआरडीओ में भी. 

वे 10 साल तक डीआरडीओ के अध्यक्ष रहे साथ ही उन्होंने रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार की भूमिका भी निभाई. 

और दो साल पहले उन्हें भारत सरकार का मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार बना दिया गया.

मिसाइल कार्यक्रम

अब्दुल कलाम की सबसे बड़ी सफलता इसरो में अपने अनुभव को काम में लाते हुए भारत के मिसाइल विकास कार्यक्रम को शुरु करना है. 

अग्नि-दोइनमें आणविक क्षमता वाली 2300 किलोमीटर तक मार करने वाली मध्यम दूरी की अग्नि दो मिसाइल शामिल है.

साथ ही धरती से धरती पर मार करने वाली पृथ्वी मिसाइल और धरती से आकाश में मार करने वाली दो मिसाइलें- मध्यम दूरी की आकाश और छोटी दूरी की त्रिशूल और नाग शामिल हैं.

तीसरी पीढ़ी के टैंक भेदी हथियार भी इसी कार्यक्रम के तहत विकसित किए गए हैं.

लेकिन रक्षा अनुसंधान के क्षेत्र में शिख़र पर पहुंचे अब्दुल कलाम का सबसे प्रिय शौक एकांत में वीणावादन है.

और पिछले साल नवंबर में उन्होंने भारत सरकार के रक्षा सलाहकार के पद से इस्तीफ़ा दे दिया ताकि वे छोटे बच्चों और हाई स्कूल के छात्रों के वैज्ञानिक विकास के लिए काम कर सकें और देश में वैज्ञानिक संस्कृति का प्रचार-प्रसार कर सकें. 

Posted from WordPress for Android By Shashi Kumar (Aansoo)


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on: July 28, 2015 at 06:14AM

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